हम सब इतना तो मिलकर कर ही सकते हैं...! हम सब इतना तो मिलकर कर ही सकते हैं...!
बाल मज़दूरी के एक कविता। बाल मज़दूरी के एक कविता।
रोक लगाओ बाल मजदूरी... सिसक-सिसक के बोल रही... रोक लगाओ बाल मजदूरी... सिसक-सिसक के बोल रही...
छूट चुकी हूँ मैं ख़ुद से। छोड़ दिया है ख़ुद को, कहीं किसी बिस्तर पर। बस पाया है अब अपने जिस्म को किसी... छूट चुकी हूँ मैं ख़ुद से। छोड़ दिया है ख़ुद को, कहीं किसी बिस्तर पर। बस पाया है अ...
मासूमियत...। मासूमियत...।
मासूम कन्या की उजड़ी ज़िंदगी...। मासूम कन्या की उजड़ी ज़िंदगी...।